Saturday 5 November 2011

भ्रष्टाचार







भ्रष्टाचार .....


ओ भ्रष्टाचारियो सुन लो, भूखी जनता की चीत्कार 
हमारा मुद्दा कपडा - रोटी और अचार , तुम्हारा मुद्दा भ्रष्टाचार .....
प्रजातंत्र बेचारी की ये साड़ी तुम दुर्योधन बन खिंच रहे हो.
सब कुछ तो खा चुके हो , और कितना खून निचोड़ोगे ... 
सुख चुके आँखों के आंसू , बहते थे जो बन के धार,
हमारा मुद्दा कपडा - रोटी और अचार , तुम्हारा मुद्दा भ्रष्टाचार .....
राजनीती के चौपड़ पे तुम ये जो दाँव आपस में खेल रहे हो,
क्या बिगाड़ा था हमने जो तुम, बारी बारी नोच रहे हो ?
आरोपों प्रत्यारोपों का जो , कर रहे हो नाटक बारम बार 
हमारा मुद्दा कपडा - रोटी और अचार , तुम्हारा मुद्दा भ्रष्टाचार .....
सुख चूका आँखों का पानी, गंगा जमुना सरस्वती की औलादों का ,
नंग धडंग तांडव कर रहे , आओ देखो नाच जल्लादों का 
सारे भ्रष्टाचारी धन के पीछे, छीन रहे जनता का कपडा रोटी और अचार,
हमारा मुद्दा कपडा - रोटी और अचार , तुम्हारा मुद्दा भ्रष्टाचार .....
हम त्रस्त हैं, तुम भ्रष्ट हो, हम पस्त हैं, तुम मस्त हो,
हम लुट गए, तुम लूट गए , क्यों कोई तुमको कष्ट हो ?
भ्रष्टाचारियो बस जान लो , बहुत हुआ ये अत्याचार ,
हमारा मुद्दा कपडा - रोटी और अचार , तुम्हारा मुद्दा भ्रष्टाचार .....


जय हिंद , जय भारत 
वन्देमातरम ! वन्देमातरम ! वन्देमातरम !


नरेश कुमार शर्मा "नरेश "
http://www.facebook.com/AISWC

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