Saturday 5 November 2011

'एक लीटर पेट्रोल पर 45 रुपये का टैक्स'


http://www.facebook.com/KHULIBAATNEWSPAPERINDIA
विशेष संवाददाता ॥
 नई दिल्ली 
'एक लीटर पेट्रोल पर 45 रुपये का टैक्स'
बीजेपी ने केंद्र सरकार से पेट्रोल के दाम बढ़ाने के बारे में पूछा है कि जब सरकारी तेल कंपनियां मुनाफा कमा रही हैं तो फिर सरकार बार-बार पेट्रोल के दाम क्यों बढ़ा रही है। उन्होंने कहा कि एनडीए शासन में जब पेट्रोल को डिरेगुलेट किया गया था, उस वक्त तय किया गया था कि अगर कच्चे तेल की कीमत बढ़ेगी तो सरकार टैक्स को ऐडजस्ट करेगी ताकि इस बढ़ोतरी का जनता पर बोझ न डालना पड़े। ऐसे में मौजूदा सरकार क्यों नहीं टैक्स कम करके जनता को पेट्रोल की बढ़ती कीमतों से निजात दिलाती। 


बीजेपी का यह भी दावा है कि इस वक्त पेट्रोल की कीमत में से एक बड़ा हिस्सा टैक्स का ही है। दिल्ली में पेट्रोल की कीमत 68.65 रुपये लीटर है जबकि वास्तव में तेल की कीमत 23.37 रुपये है यानी बाकी 45.28 रुपये टैक्स है। बीजेपी नेता यशवंत सिन्हा का कहना है कि 1998 में जब एनडीए सरकार शासन में आई थी, तब कच्चा तेल 10 डॉलर प्रति बैरल था और जब उनकी सरकार गई तो यह 40 डॉलर बैरल तक पहुंच गया था लेकिन इसके बावजूद उस वक्त तेल की कीमतें इसलिए ज्यादा नहीं बढ़ीं क्योंकि उस सरकार ने टैक्सों को ऐडजस्ट कर लिया था। 2004 में पेट्रोल के रेट 33.71 रुपये लीटर थे और उसके बाद से लगातार बढ़ोतरी हो रही है और अब इसके दाम 68.65 रुपये तक पहुंच गए हैं यानी यूपीए सरकार अपने शासन में पेट्रोल की दर में 35 रुपये लीटर की बढ़ोतरी कर चुकी है। 


उन्होंने कच्चे तेल की खरीद और पेट्रोल की कीमत के बारे में बताया कि भारत ने कच्चे तेल के लिए जो अग्रीमेंट किए हुए हैं, उसमें रोजाना मार्केट में कीमतों में उछाल के मुताबिक दाम नहीं बढ़ते। उन्होंने कहा कि ऐसे मामलों में तेल की कीमत का औसत निकाला जाता है और वही कीमत सरकार को देनी होती है। उन्होंने उदाहरण देते हुए बताया कि यह सही है कि कच्चे तेल की कीमत जुलाई 2008 में 146 डॉलर प्रति बैरल तक पहुंची थी लेकिन अगर 2006 से 2011 के बीच अगर कच्चे तेल की औसत कीमत निकाली जाए तो वह 80 डॉलर प्रति बैरल है। इस तरह कायदे से पेट्रोल के दाम इतने बढ़ने ही नहीं चाहिए। अगर अंतरराष्ट्रीय मार्केट में यह दाम बढ़ते भी हैं तो सरकार को टैक्सों को इस तरह से ऐडजस्ट करना चाहिए कि जनता पर उसका बोझ न पड़े। 


बीजेपी नेता ने सरकार ने इस तर्क को भी नकार दिया, जिसमें कहा गया था कि रुपये का अवमूल्यन होने की वजह से पेट्रोल के दाम बढ़ाने पड़े हैं। उनका कहना है कि जब रुपये की कीमत कम होती है तो पेट्रोल के दाम बढ़ाए जाते हैं लेकिन जब रुपया महंगा होता है तो फिर दाम कम क्यों नहीं किए जाते। यही नहीं, अगर रुपये का अवमूल्यन हो रहा है तो उसे रोकने के लिए सरकार अपने 315 बिलियन डॉलर के रिजर्व का इस्तेमाल क्यों नहीं करती। उन्होंने यह भी कहा कि पड़ोसी देशों में से भारत में ही पेट्रोल के दाम सबसे ज्यादा हैं। मसलन, अगर भारतीय रुपये के बराबर का आकलन किया जाए तो पाकिस्तान में भारतीय रुपये में 48.41 रुपये लीटर पेट्रोल मिल जाएगा। इसी तरह से बांग्लादेश में यह दर 44.80 रुपये और श्रीलंका में यह दर 50.30 रुपये लीटर है।
http://navbharattimes.indiatimes.com/articleshow/10610198.cms

No comments:

Post a Comment